बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी आओ बच्चो सुनो कहानीराजेश मेहरा
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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।
माँ को सारा माजरा समझ में आ गया था। वह बड़े प्यार से बोली, "राजू, आज भी दुनिया में ऐसे बच्चे हैं जिनको उनकी इच्छा की चीजें नहीं मिलती क्योंकि वो बहुत गरीब हैं और उनके माँ बाप उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। उनको कई बार तो खाने के भी लाले पड़ जाते हैं।"
राजू बोला, "माँ, फिर तो उनको त्योहारों पर कुछ भी उपहार नहीं मिलता होगा?"
माँ ने बड़े प्यार से उसको कहा, "हां बेटा, दुनिया में हर किसी को उसकी इच्छा की चीज नहीं मिलती है क्योंकि वे सब इतने समर्थ नहीं होते जिससे कि सारी चीजें खरीद सकें।"
राजू सुनकर और उदास हो गया। राजू को समझाकर उसकी माँ रसोई की तरफ चल दी। राजू सोच रहा था कि भगवान् ने हमें अमीर और गरीब क्यों बनाया? उसने मन ही मन प्रण किया कि इस बार वो दिवाली पर किसी गरीब बच्चे को ख़ुशी देगा।
शाम को जब उसके पापा अपने ऑफिस से आये तो उसने उनसे कहा, "पापा, इस बार मैं दिवाली अकेले नहीं मनाऊँगा। इस बार मैं अपने पटाखे और मिठाई गरीब बच्चों के साथ बांटूंगा।"
उसकी बातें सुनकर उसके पापा दंग थे और बोले, "क्या बात है, कुछ ख़ास बात है?"
राजू बोला, "हाँ पापा, हम सब तो आपसे अपनी इच्छा अनुसार पटाखे और मिठाई मांग लेते हैं लेकिन गरीब और बेसहारा बच्चों को ये सब चीजें नहीं मिलती हैं।"
राजू के पापा बड़े खुश थे कि राजू अब समझदार हो गया है तथा उसको दुनिया की समझ भी आने लगी है। वे जल्दी से बोले, "तुम तैयार हो जाओ। हम आज ही गरीब बच्चों में कुछ पटाखे और मिठाई बांटेंगे।"
राजू झट से तैयार होकर अपने पापा के साथ चल दिया रास्ते में उसने कहा, "पापा, हम ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने वाले बच्चों को उपहार व पटाखे देंगे।"
पापा बोले, "ठीक है।"
उसने और उसके पापा ने बाजार से पटाखे, मिठाई व कुछ उपहार ख़रीदे और उनको लेकर उसी सिग्नल पर पहुंचे जिस पर भिखारी अपने बच्चे को पीट रहा था। राजू ने कुछ पटाखे और मिठाई उस भिखारी के लड़के को दीं तो वह बहुत खुश हुआ। फिर राजू ने वहाँ पर खड़े हुए बाकी भिखारी बच्चों को भी उपहार दिए। वे सब उपहार पाकर बड़े खुश थे राजू के चेहरे पर भी ख़ुशी थी। उसके पापा ये सब देखकर खुश हो रहे थे। सभी बच्चों ने व उनके परिवार वालों ने राजू को आशीर्वाद दिया। राजू ने अपने पापा से कहा, "पापा इस बार मेरी सच्ची दिवाली मनी है।"
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