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वेनिस का सौदागर (नाटक)

शेक्सपियर, रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :164
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10120
आईएसबीएन :978-1-61301-296

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मर्चेन्ट आफ वेनिस का हिन्दी अनुवाद.....

‘मर्चेन्ट ऑफ वेनिस’ (वेनिस का सौदागर) का विषय शेक्सपियर से पूर्व व्यवहृत हो चुका था—इसका पता समसामयिक सूत्रों से भली प्रकार चलता है। इसके कथानक की रूप रेखा सर जियोवानी फियोरेण्टिनो की इटैलियन पुस्तक ‘इलपेकोरोन’ से बहुत कुछ साम्य रखती है। उपलब्ध सामग्री से ज्ञात होता है कि शेक्सपियर ने अपने इस नाटक की रचना सन् 1598 से पूर्व की थी। इसकी कथावस्तु भी शेक्सपियर को एक ऐसे देश से प्राप्त हुई जिसका प्रभाव एलिज़ावेथ-कालीन इंग्लैड की संस्कृति पर प्रभूत मात्रा में पड़ा था।

‘मर्चेन्ट ऑफ वेनिस’ की कथावस्तु नितांत रोचक है। वेनिस शहर का एक सुन्दर और सजीला नौजवान बैसैनियो तीन caskets (जवाहरात और शव की राख रखनेवाले बक्सों) को प्राप्त करने के लिए अपना भाग्य आजमाने बेलमोन्ट तक की यात्रा को जाने के लिए उत्सुक है क्योंकि इन तीन पिटारों पर अपना भाग्य आजमा लेने पर ही वह सुन्दरी पोर्शिया के हृदय को जीत सकने में समर्थ हो सकता है। बैसैनियो स्वभावतः बड़ा खर्चीला है और अपने धन को पानी की तरह बहाता है। अतः जब बेलमोन्ट की यात्रा पर जाने के लिए उसे धन की आवश्यकता पड़ती है तो वह अपने ऐन्टोनियो नाम के एक व्यापारी मित्र से धन उधार माँगता है। किन्तु ऐन्टोनियो का सारा धन व्यापार में लगा होने के कारण समुद्र पर जहाज़ में था, जिससे वह अपने पास से उसे न देकर शाइलॉक नामक एक यहूदी से तीन हजार स्वर्ण मुद्राएं दिला देता है। कर्ज लेते समय कितना आश्चर्यजनक ‘तमस्सुक’ (बॉण्ड) भरा जाता है, बैसैनियो को अपने लक्ष्य की प्राप्ति में कहां तक सफलता प्राप्त होती है और वह कैसे निश्चित समय पर शाइलॉक का कर्ज चुकाने में असमर्थ रहता है तथा उसका मित्र ऐन्टोनियो किस प्रकार दुर्भाग्य की क्रूर लपेट में आता है एवं इस भयानक परिस्थिति से किस प्रकार पोर्शिया इनकी रक्षा करती है—यह सब ‘मर्चेन्ट ऑफ वेनिस’ में वर्णित है।

‘मर्चेन्ट ऑफ वेनिस’ शेक्सपियार के नाटकों में अन्यतम है और अन्यतम लोकप्रिय हुआ है।

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