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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

 

दृश्य - 2

(वेनिस की दूसरी गली)

(ऑथेलो; इआगो का मशालें लिए हुए अनुचरों के साथ प्रवेश)

इआगो : यद्यपि युद्ध-व्यापार में मैंने हत्याएँ की हैं, लेकिन इसे मैं अपनी चेतना का सार-तत्त्व मानता हूँ कि कभी ठण्डे दिल से खून न किया जाए। कभी-कभी मुझे अपने भीतर उस नीचता का अभाव-सा मालूम देता है, जो मेरे लिए सांसारिक रूप से बड़ी लाभदायक होती। दस-बीस बार तो मेरी इच्छा प्रबल तक हो उठी कि उसकी पसलियों में गहरा वार कर दूँ।

ऑथेलो : अच्छा यही है कि तुम अपने को रोको और जैसा है वैसा ही चलने दो।

इआगो : लेकिन मैं भी तो देवता नहीं हूँ कि वे आपके विरुद्ध इतनी गन्दी बातें करते रहें, गालियों पर उतर आएँ, नीच से नीच शब्दों का प्रयोग करें और श्रीमान! मुझे क्रोध ही न आए? आखिर कब तक मेरा क्रोध भड़क न उठे! मुझे तो अपने को रोकना भी बड़ा कठिन हो गया। किन्तु मुझे बताएँ श्रीमान्! क्या आपकी कानूनन शादी हो गई? यह निश्चित जानिए कि श्रीमती के पिता बड़े प्रभावशाली और प्रभुत्व वाले व्यक्ति हैं, उनका बड़ा सम्मान है और ड्यूक की आज्ञा* (*वोट की शक्ति।) से उनकी आज्ञा में दुगुना बल है। अगर कानून में ज़रा भी कसर रह गई तो वे आपके विवाह को रद्द करा देंगे और जितनी भी उनमें ताकत होगी लड़ा देंगे कि आप पर गहरी से गहरी मुसीबत बरपा कर सकें।

ऑथेलो : उन्हें अपनी यथाशक्ति बुराई करने दो। मैंने जो राज्य की सेवाएँ की हैं, वे ही उनके दोषारोपण को असत्य सिद्ध कर देंगी। यह तो लोग जानते ही नहीं, और अगर मुझे विश्वास हो जाएगा कि इसपर भी गर्व किया जा सकता है तब मैं घोषणा कर दूँगा कि मेरी धमनियों में भी साधारण रक्त नहीं, कुलीन राजवंशीय रक्त बहता है। मेरे गुण ही मेरे लिए इस अवस्था के भी साक्षी बनेंगे जो कि आज मैंने प्राप्त की है। इआगो, यह सत्य है कि मैं सुन्दरी डैसडेमोना से प्रेम करता हूँ। यदि मैं उसे सचमुच प्यार न करता होता तो क्या एक स्त्री के लिए मैं अपनी स्वतन्त्रता खो देता, सारे समुद्र की अपार सम्पत्ति भी क्या उसकी बराबरी कर सकती है?

(कैसियो तथा अन्य अफसरों का मशालें लिए हुए प्रवेश)

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