ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
डैसडेमोना : अब जो चाहे कह लीजिए, पर यह वही हाथ है जिसने मेरा हृदय आपको दिया था।
ऑथेलो : कैसा दयालु हाथ है! पहले समय में जब हाथ मिलते थे तब हृदय भी मिल जाते थे, किन्तु आजकल के विवाहों में हृदय नहीं मिलते, केवल हाथ ही मिलते हैं।
डैसडेमोना : मैं इस विषय में क्या कह सकती हूँ। चलिए भी! आपको अपना वचन तो याद है?
ऑथेलो : कौन-सा वचन प्रियतमे!
डैसडेमोना : मैंने आपसे बातें करने कैसियो को बुलवाया है।
ऑथेलो : मेरी आँख दुःख रही है। बड़ी तकलीफ है। तनिक पोंछने को अपना रूमाल तो देना।
डैसडेमोना : यह लो स्वामी!
ऑथेलो : वह जो मैंने दिया था तुम्हें।
डैसडेमोना : वह तो मेरे पास नहीं रहा।
ऑथेलो : नहीं है?
डैसडेमोना : हाँ स्वामी! नहीं है।
ऑथेलो : यह तो एक अपराध है। वह रूमाल मेरी माता को एक मिस्री स्त्री ने दिया था जोकि जादूगर थी और मनुष्य की आन्तरिक भावनाओं को पढ़ लेती थी। उस स्त्री ने मेरी माता से कहा था कि जब तक वह उसे अपने पास रखेगी, वह आकर्षक बनी रहेगी और मेरे पिता को अपने वश में ऐसे कर लेगी कि वह उसे सदैव प्रेम करेगा। किंतु यदि वह उसे खो देगी या किसी और को भेंट दे देगी तो मेरा पिता उससे घृणा करने लगेगा और प्रेम और वासना की परितृप्ति के लिए और ही आधार ढूँढ़ने लगेगा। मरते समय माँ ने इसे मुझे दिया था और कहा था कि जब कभी भी मैं विवाह करूँ इसे अपनी स्त्री को भेंट दूँ। यही मैंने किया और इसीलिए तुम उसे अपनी आँखों का तारा समझकर प्यार करो। वह खो जाएगा तो तुम्हारी हानि होगी और ऐसी कि कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकेगा।
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