ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
ऑथेलो : ऐसा कौन-सा विचार था इआगो?
इआगो : मैं समझता था तब वह उन्हें नहीं जानता था।
ऑथेलो : अरे, वह तो हम दोनों के बीच अक्सर सन्देश लाता-लिवाता था।
इआगो : सचमुच!
ऑथेलो : बिल्कुल! उसमें तुम क्या देखते हो? क्या वह ईमानदार नहीं है?
इआगो : ईमानदार! स्वामी?
ऑथेलो : ईमानदार! हाँ, ईमानदार!
इआगो : स्वामी! यदि मैं कुछ जानता!
ऑथेलो : क्यों, तुम क्या सोचते हो?
इआगो : स्वामी! सोचता हूँ!
ऑथेलो : (स्वगत) स्वामी! सोचता हूँ!! ईश्वर देखे, यह तो मेरे ही शब्दों को दुहरा रहा है, जैसे इसके मस्तिष्क में कोई भयानक विचार है, इतना भयानक कि प्रकट नहीं किया जा सकता। तुम्हारा कुछ मतलब अवश्य है। (प्रकट) मैंने अभी तुम्हें यह कहते सुना था कि तुम इसे पसन्द नहीं करते। जब कैसियो मेरी पत्नी के पास से गया था तब तुम्हें क्या पसन्द नहीं आया था? और जब मैंने कहा कि मेरे सारे प्रेम-परिणय-काल में वह मेरा विश्वासपात्र था तब तुम बड़बड़ा उठे। सचमुच! जब तुमने यह शब्द कहा था तब तुम्हारी भौहें ऐसी संकुचित हो गई थीं जैसे तुम अपने मस्तिष्क में कोई भयानक विचार छिपाने का प्रयत्न कर रहे थे। यदि तुम्हें मेरे प्रति कुछ स्नेह है तो मुझसे अपने विचार प्रकट कर दो!
इआगो : स्वामी! जानते हैं मैं आपसे प्रेम करता हूँ?
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