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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

ऑथेलो : क्या वही यहाँ से अभी-अभी गया था?

डैसडेमोना : हाँ, वही था और वह इतना दुःखी और लज्जित था कि उसके दुःख को मैंने भी अनुभव किया है। स्वामी, उसे फिर बुला लें।

ऑथेलो : अभी नहीं, प्रिये डैसडेमोना! फिर कभी!

डैसडेमोना : किन्तु शीघ्र ही न?

ऑथेलो : प्रिये! जितनी शीघ्रता से हो सके उतनी ही। तुम्हारे लिए निश्चय!

डैसडेमोना : आज रात भोजन के समय?

ऑथेलो : नहीं, आज रात नहीं।

डैसडेमोना : तो कल भोजन के समय?

ऑथेलो : मैं घर खाना नहीं खाऊँगा। मुझे दुर्ग में कप्तानों के साथ खाना है।

डैसडेमोना : तो फिर कल रात, या मंगलवार की सुबह सही, या मंगल की दुपहर या रात, या बुध की दुपहर। मैं प्रार्थना करती हूँ, समय बता दीजिए। लेकिन तीन दिन से ज़्यादा न कहें। सच कहती हूँ, वह वास्तव में बड़ा पश्चात्ताप कर रहा है। आमतौर पर देखने में आपकी नज़र में उसकी नशेबाज़ी का कसूर, सिवाय इसके कि युद्धकाल में अच्छे से अच्छे आदमी को भी मिसाल पेश करने के लिए सज़ा देनी ही चाहिए, ऐसा कोई कसूर भी नहीं है कि उसे आपकी ओर से इतनी कड़ी सजा मिले। बताइए? वह कब आए? ऑथेलो! सच कहिए! मुझे ताज्जुब होता है कि क्या ऐसी भी कोई बात है जो आप मुझसे करने को कहें और मैं ऐसे ही उसके उत्तर में अनिश्चित-सी रह जाऊँ? वही माइकिल कैसियो, जो आपकी ओर से कितनी ही बार प्रेम सन्देशे पहुँचाने आया था, मैंने अनेक बार जब आपके बारे में ऐसी बातें कीं, जैसे मैं आपको महत्त्व न देती होऊँ, वही आपकी ओर से बोलता था। सच, मुझे बड़ा अचरज होता है यह सोच-सोचकर कि आज मुझे उसी व्यक्ति को फिर से उसका पद दिलाने के लिए इतना अनुनय करना पड़ रहा है। सच कहती हूँ, इतना तो मैं ही आसानी से कर सकती थी।

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