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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117
आईएसबीएन :978161301295

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

दृश्य - 1

(वेनिस की एक गली)

(रोडरिगो और इआगो का प्रवेश)

रोडरिगो : क्या बात करते हो! मुझसे बहाने और चाल और भी तुम करोगे इआगो! इसकी तो मुझे आशा ही न थी। मेरे धन के बटुए की तनियों को तो तुमने सदैव अपना समझकर खोला, बन्द किया है और तब भी सब कुछ जान-बूझकर तुमने मुझसे दुराव किया?

इआगो : भगवान की सौंगन्ध, कुछ मेरी भी सुनोगे या अपनी-अपनी कहे जाओगे? मुझे तो सपने में भी इसका गुमान नहीं था! अगर जानकर छिपाता तब तो तुम्हारी घृणा भी उचित होती!

रोडरिगो : तुम नहीं कहते थे कि तुम्हें उससे घृणा थी?

इआगो : यदि मैं उससे घृणा न करता होऊँ तो तुम मुझसे घृणा करो! वेनिस नगर के तीन-तीन सम्भ्रान्त नागरिक व्यक्तिगत रूप से उसके पास गए कि वह मुझे अपना लेफ्टिनेण्ट बनाए, मेरे ही लिए उन्होंने उससे सविनय  प्रार्थना की! और क्या मैं अपना मूल्य नहीं जानता कि किसी भी परिस्थिति में मैं उस पद के लिए बिल्कुल योग्य था? किन्तु उसके अहं को ठेस लग गई। वह तो स्वार्थी ठहरा। उसने फौजी काम की बारीकियों के बारे में वह बड़ी-बड़ी बातें कीं, वे उलझनें पेश कीं कि सुनने योग्य थीं! उसने उनसे साफ इंकार कर दिया। नतीजा यह निकला? मेरी सिफारिश करनेवालों को उसने बताया कि उक्त पद के लिए अफसर का चुनाव तो पहले ही कर चुका था। और किसका नाम बताया उसने, जानते हो? फ्लोरेन्स का माइकिल कैसियो, एक महान गणितज्ञ ( व्यंग्य में कहता है, वैसे वह उसे आधे मुनीम से अधिक नहीं समझता। ) का, शायद उसे एक सुन्दर स्त्री ने बर्बाद भी कर दिया है। ( इसका अर्थ वैसे स्पष्ट नहीं है। कुछ लोगों का मत यों है-शायद अब वह एक सुन्दर स्त्री के चक्कर में पड़नेवाला है, जो उसे बरबाद कर देगी। एक और मत है-अब वह सुन्दर स्त्री को पत्नी बनाएगा, तो वह अवश्य ही उसे खोखला करके बरबाद कर डालेगी। ) कभी उसने युद्धभूमि में सेना का संचालन नहीं किया, सिवाय इसके कि उसे किताबी जानकारी हो, शायद एक अनुभवहीन अविवाहित स्त्री से अधिक युद्ध के विषय में वह कुछ नहीं जानता। उसका सारा सैनिकत्व अभ्यासहीन वितण्डा-मात्र है। और उस आदमी को किसकी जगह चुना गया है, जानते हो? मेरी जगह; मैं, जिसकी योग्यता को रोहड्स और साइप्रस ही नहीं, अनेक ईसाई तथा विधर्मी भूमियों में हज़ारों आँखो ने देखा है। मैं तो इस पर हैरान हूँ कि मेरी जगह लेने वाला व्यक्ति सिर्फ बही-खाते लिखने के योग्य है। वह मुनीम उसका लेफ्टिनेण्ट बने और मूर महाराज का पुराना सेवक मैं एक अनुचर मात्र बना रहूँ। ईश्वर, क्या तू नहीं देखता? यही मेरी पुरानी सेवाओं का फल है?

रोडरिगो : मैं तो, भगवान की सौगन्ध, उस मूर का वधिक होना चाहता हूँ...फाँसी लगा दूँ उसे....

इआगो : लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं, नौकरी का यह अभिशाप तो है ही कि उन्नति पक्षपात और सिफारिश पर ही निर्भर रहती है। अफसर खुश तो रास्ता साफ, वर्ना यह कौन देखता है कि योग्यता क्या है! नौकरी करते कितना समय निकल गया, कितना अनुभव प्राप्त हुआ! इस तरीके में तो एक गया और उसके पीछेवाले को अपने-आप जगह मिल गई। अब देखो न, तुम ही न्याय करो, क्या ऐसी हालत में मैं उस मूर से कभी भी प्रेम कर सकता हूँ?

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