लोगों की राय

लेखक:

आशापूर्णा देवी

जन्म - 8 जनवरी, 1909
मृत्यु - 13 जुलाई 1995
स्थान - कोलकाता
भाषा - बांग्ला

‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित आशापूर्णा देवी आधुनिक बांग्ला की अग्रणी उपन्यासकार रही हैं। बंकिमचन्द्र, रवीन्द्रनाथ और सरतचन्द्र के बाद बांग्ला साहित्य-लोक में आशापूर्णा देवी का ही एक ऐसा सुपरिचित नाम है, जिनकी हर कृति पिछले साठ वर्षों से बंगाल और उसके बाहर भी एक नयी अपेक्षा के साथ पढ़ी जाती रही है। आशापूर्णा देवी ने किशोरावस्था से ही लिखना शुरू कर दिया था। मेधा के प्रस्फुटन में आयु कब बाधक हुई ! स्कूल-कॉलेज जाने की नौबत नहीं आयी, किन्तु जीवन की पोथी उन्होंने बहुत ध्यान से पढ़ी जिसके परिणामस्वरूप उन्होंनें ऐसे महत्वपूर्ण साहित्य का सृजन किया जो गुण और परिमाण दोनों ही दृष्टियों से अतुलनीय है। कहानी-लेखन में भी वह उतनी ही सिद्धहस्त थीं। उनकी आरम्भिक कहानियाँ किशोरवय के पाठकों के लिए थीं और द्वितीय महायुद्ध के समय लिखी गई थीं। प्रबुद्धि पाठकों के लिए पहली कहानी ‘पत्नी ओ प्रेयसी’ 1937 में शारदीया, आनन्द बाजार पत्रिका में प्रकाशित हुई। नारी के इन दो अनिवार्य ध्रुवान्तों के बीच उठने वाले सवाल को पारिवारिक मर्यादा और बदलते सामाजिक सन्दर्भों में जितना आशापूर्णा देवी ने रखा है उतना सम्भवतः किसी अन्य ने नहीं। इसके बाद तो उनके अनगिनत नारी पात्रों माँ, बहन दादी, मौसी दीदी बुआ, अन्य नाते-रिश्तेदार यहाँ तक के नौकर-चाकरों की मनोदशा का सहज और प्रामाणिक चित्रण उनकी कहानियों के प्राण है।

आशापूर्णा जी की छोटी-बड़ी कहानियों में जीवन के सामान्य एवं विशिष्ट क्षणों की ज्ञात-अज्ञात पीड़ाएँ मुखरित हुई हैं। सच पूछिए तो उन्होंने उनको वाणी से कहीं अधिक दृष्टि दी है। इसलिए उनकी कहानियाँ पात्र, संवाद या घटना-बहुल न होती हुई भी जीवन की किसी अनकही व्याख्या को व्यंजित करती हैं।

कृतियां : 200 के लगभग औपन्यासिक कृतियां और 800 के लगभग कहानियां जिनके माध्यम से उन्होंने समाज के विभिन्न पक्षों को उजागर किया।

पुरस्कार सम्मान : कलकत्ता विश्व-विद्यालय से स्वर्ण पदक, प.बंगाल सरकार द्वारा रवींद्र पुरस्कार’ तथा भारत सरकार की ओर से ‘पद्मश्री’ सम्मान प्राप्त। इसके अतिरिक्त ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ और कई विश्वविद्यालयों से डी. लिट. की मानद उपाधियाँ प्राप्त।

महत्त्वपूर्ण कृतियां (उपन्यास) : प्रथम प्रति श्रुति, सुवर्णलता, बकुल कथा, कल्याणी. नेपथ्य नायिका, छाया सूर्य, उन्मोचन, नवजन्म, निर्जन पृथ्वी आदि। अन्य- ‘कसौटी’ ‘उज्ज्वल उन्मोचन’ अनोखा प्रेम, अपने-अपने दर्पण में, अमर प्रेम, अविनश्वर, आन्नंद धाम, उदास मन, कभी पास कभी दूर, काल का प्रहार, खरीदा हुआ दुःख, गलत ट्रेन में, चश्मे बदल जाते हैं, चाबीबन्द सन्दूक, चैत की दोपहर में, तपस्या, तुसली, त्रिपदी, दृश्य से दृश्यान्तर, दोलना, न जाने कहाँ-कहाँ, पंछी उड़ा आकाश में, प्यार का चेहरा, प्रारब्ध, मंजरी, मन की आवाज, मन की उड़ान, मुखर रात्रि, राजकन्या, लीला चिरन्तर, विजयी बसंत, विश्वास अविश्वास, वे बड़े हो गये, शायद सब ठीक है, श्रावणी, सर्पदंश।

कहानी संग्रह -

1. किर्चियाँ - 1. ऐश्वर्य 2. पद्मलता का स्वप्न 3. बेआसरा 4. जो नहीं है : वही 5. वहम 6. पैदल सैनिक 7. हथियार 8. ढाँचा 9. शौक 10. आहत पौरूष 11. जादुई कलम 12. ठहरी हुई तसवीर 13. बेकसूर 14. इज्जत 15. अधूरी तैयारी 16. नागन की पूँछ 17. सीमा-रेखा 18. अभिनेत्री 19. एक दिन...कभी तो 20. डॉट पेन 20. किर्चियाँ

2. ये जीवन है - 1. हितैषी 2. आत्महत्या 3. एहसास 4. कैक्टस 5. निवारण चन्द्र की अन्त्येष्टि क्रिया 6. बकाया लगान 7. चरित्रहीन 8. ऋण-परिशोध 9. शनि की दशा 10. पत्रावरण 11. अगर दीवार बोल सकती 12. सजा 13. घायल नागिन 14. नीड़ 15 जिल्द का चेहरा 17. अपने लिए शोक 18. पद्मलता का सपना 19. प्रथम और अन्तिम।

3. श्रेष्ठ कहानियां - 1. सब कुछ व्यवस्थित रखने के लिए 2. एक मृत्यु एवं और एक 3. रिहाई रद्द 4. अहमक 5. मकान का नाम 6. ‘शुभदृष्टि’ 7. राजपथ को छोड़कर 8. जगन्नाथ की जमीन 9. स्वर्ग का टिकट 10. सांकट लगा देने के बाद 11. बेआबरू 12. पराजित हृदय 13. स्टील की आलमारी 14. हथिया 15. भय 16. छिन्नमस्ता घूर्णमान पृथ्वी 17. वंचक 18 कार्बन कापी 19. आयोजन 20. मुक्तिदाता

वे बड़े हो गए

आशापूर्णा देवी

मूल्य: Rs. 125

प्रस्तुत है उत्कृष्ठ उपन्यास...

  आगे...

 

12   11 पुस्तकें हैं|

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai