लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सिकन्दर

सिकन्दर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :82
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10547
आईएसबीएन :9781613016343

Like this Hindi book 0

जिसके शब्दकोष में आराम, आलस्य और असंभव जैसे शब्द नहीं थे ऐसे सिकंदर की संक्षिप्त गाथा प्रस्तुत है- शब्द संख्या 12 हजार...

यूनान के एक पिछड़े प्रांत मकदूनिया के राजा फिलिप द्वितीय के घर जुलाई 356 वर्ष ई.पू. में अलेक्जेंडर तृतीय यानी सिकंदर का जन्म हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद उसने सबसे पहले अपने शत्रुओं को ठिकाने लगाकर यूनान पर अधिकार किया। फिर यूनान के चिर शत्रु ईरान पर अधिकार किया हालांकि इस युद्ध में उसे नाकों चने चबाने पड़े। जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया तो उत्तरी पश्चिमी भारत बिखरा हुआ था फिर भी जनता ने एकजुट होकर कड़ा मुकाबला किया। तक्षशिला में उसका स्वागत देश के गद्दारों ने किया। पंजाब में उसे भयानक युद्ध लड़ने पड़े तो उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया। एक चौथाई सेना साथ लेकर वह वापस बेबीलोन लौट गया जहां उसकी 323 वर्ष ईसा पूर्व में बुखार से मृत्यु हो गई।

जिसके शब्दकोष में आराम, आलस्य और असंभव जैसे शब्द नहीं थे ऐसे सिकंदर की संक्षिप्त गाथा प्रस्तुत है-

सिकंदर...

महल के आंतरिक सेवक ने राजा से कहा, ‘‘हुजूर, थेसली से घोड़ों का एक व्यापारी घोड़ा लेकर आया है, आप...।’’

‘‘जाकर अश्वपाल से कहो।’’

‘‘हुजूर, उसके वश के बाहर की बात है।’’

‘‘क्या घोड़ा ?’’

‘‘घोड़ा और उसकी कीमत, दोनों। मैंने तो आज तक तेरह टेलेंट कीमत का घोड़ा न सुना न देखा।

घोड़े की इतनी ऊंची कीमत सुनकर कौतूहल से मकदूनिया का राजा फिलिप द्वितीय अपने आसन से उठकर खड़ा हो गया। उसने दस वर्षीय पुत्र सिकंदर की ओर देखा। वह भी प्रस्तुत हो गया। दोनों अश्वशाला की ओर चल दिए।

Next...

प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book